सोयाबीन की फसल नष्ट, किसानों ने काटने के बजाए किया आग के हवाले ।
नागदा /उज्जैन।। प्राकृतिक आपदा के कारण नष्ट हो चूकी सोयाबीन का सर्वे करने के लिए जब कोई पटवारी, आरआई सहित अन्य कोई प्रशासनिक अधिकारी या जनप्रतिनिधि क्षेत्र में नहीं पहुंचा तो किसानों में आक्रोश व्याप्त हो गया। जहां एक ओर पुरे देश में रावण का दहन किया गया वहीं ऐसे में एक गांव में फसल को दहन कर दिया गया।
नागदा के समीपस्थ गांव बनबना में लगभग 500 बीघा की सोयाबीन प्राकृतिक आपदा से नष्ट हो गई, जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई। खेतों में पानी भरा होने से सोयाबीन काट नहीं पाए ऐसे में गुणवत्ता के साथ फली टूटकर खेतों में गिर गई। अब खेत में बिना फली वाली सोयाबीन खड़ी है जिसको किसान काटने में मजदूरी नहीं लगाना चाहता। किसान महेश व्यास के अनुसार प्रति बीघा किसान को लगभग 7 हजार से 8 हजार के लगभग लागत आती है ऐसे में सोयाबीन के भाव नहीं बढऩे से किसान चिंतित है वहीं अब प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ रहा है किसान नष्ट हो चूकी फसल के सर्वे के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के पास पहुंचे, तो कोई सुनवाई नहीं हुई आखिरकार अब किसान फसल को काटने के बजाए आग लगाने को विवश हो चूका है। किसान महेश पटेल ने बताया कि लगभग दस बीघा के खेत में आग दी, पटेल ने बताया कि दूसरी फसल के लिए खेत की सफाई करना जरुरी है अब इतनी राशि नहीं है कि मजदूरी से खेत को साफ करवाया जा सके। किसान बद्रीलाल मांगीलाल परमार की 6 बीघा, कांता महेश व्यास 6 बीघा, रणजीतसिंह भारतसिंह 5 बीघा, महेश भारतसिंह 18 बीघा, बलराम बाबूलाल ब्राह्मण 22 बीघा, सुरेश अम्मतराम पाटीदार 19 बीघा, बाबुलाल रामनारायण 15 बीघा, विनोद महेश व्यास 4 बीघा, रामकिशन समरथ पाटीदार, बाबुलाल नंदराम 18 बीघा, सुरेश रामचंद्र 6 बीघा, महादेव अनोखीलाल 6 बीघा, गेंदालाल कनीराम 5 बीघा, अनवर कासम 20 बीघा, बद्रीलाल नंदराम 14 बीघा, अनिल बद्रीलाल 18 बीघा की फसल नुकसानी का सामना करना पड़ा।