क्वांटम टेक्नोलॉजी और इसके राजनीतिक क्षेत्र पर सामान्य प्रभाव।
नई दिल्ली (दर्शन सिंह चौहान)। सन् 2012 में प्रसिद्ध भौतिक सिद्धांतवादी व क्वांटम इनफॉरमेशन साइंस के विशेषज्ञ जॉन प्रेंस्किल ने क्वांटम सुप्रीमेसी(Quantum Supremacy) शब्द को इस संदर्भ में गढ़ा की ‘वह बिंदु जहां एक क्वांटम कंप्यूटर किसी ऐसी गणना को अंजाम देता है जिसे कोई भी साधारण(Classical) कंप्यूटर व्यावहारिक समय में नहीं कर सकता है।’ उदाहरण के रूप में क्लासिकल सुपर कंप्यूटर को अगर कोई गणना करने में 10000 साल लगे और क्वांटम कंप्यूटर यही काम 200 सेकंड में कर दे तो यही क्वांटम सुप्रीमेसी कहलाएगी।
क्वांटम सुप्रीमेसी प्राप्त करने का पहला दावा गूगल Al (Sycamore Quantum processor) ने 2019 में किया। Sycamore नामक क्वांटम कंप्यूटर ने एक जटिल गणना 200 सेकंड में की जिसको करने में क्लासिकल सुपर कंप्यूटर को 10000 साल लग जाते।
क्वांटम तकनीक के व्यावहारिक उपयोग में आने में अधिक समय नहीं है शायद सदी के मध्य तक हम इसे विभिन्न कार्य करते हुए देखेंगे। क्वांटम तकनीक के माध्यम से परमाणु का निर्माण,केमिकल रिएक्शंस, दवा व चिकित्सा क्षेत्र में कैंसर जैसे गंभीर रोगों का उपचार, सटीक तापमान और सेंसर, Al और क्वांटम शक्ति का मिलन जिससे तेज व सटीक निर्णय, टाइम ट्रेवल व क्वांटम टेलिपोर्टेशन जैसी अवधारणाओं पर शोध आदि कई क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन होगा और विभिन्न जटिल चुनौतियों के समाधान प्राप्त होंगे।
राजनीतिक क्षेत्र पर प्रभाव।
- Power politics – क्वांटम तकनीक के माध्यम से विभिन्न जटिल समस्याओं को सरल तरीके से सुलझाया जा सकता है। विश्व में जिन देशों के पास क्वांटम सेफ कम्युनिकेशन होगा उनकी रणनीति हैसियत व कूटनीतिक ताकत बढ़ेगी। क्वांटम टेक्नोलॉजी में बढ़त बनाने का सीधा तात्पर्य है कि कृषि, उद्योग, चिकित्सा, शिक्षा, अंतरिक्ष आदि सभी क्षेत्रों में तीव्र प्रगति को बढ़ावा मिलेगा जो कि विश्व में शक्ति के केंद्रों और शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।
- Geo-politics – द्वितीय विश्व युद्ध के बाद परमाणु हथियार ने जिस प्रकार वैश्विक राजनीति को बदल दिया था, ठीक उसी प्रकार क्वांटम टेक्नोलॉजी भी वैश्विक राजनीति में बड़े परिवर्तन कर सकती है इसके कारण नए स्ट्रैटेजिक एलाइंस का जन्म हो सकता है नए घातक हथियारों के निर्माण हो सकते हैं। राष्ट्रीय हितों के अनुरूप वैश्विक संबंधों को नवीन पटल पर देखा जा सकेगा।
- Elections and Democracy – क्वांटम कंप्यूटिंग से डाटा को बहुत तेजी से प्रोसेस किया जाता है। इसके कई सकारात्मक पहलू है इसके माध्यम से बड़ी जनसंख्या तक आसानी से पहुंच सुनिश्चित कर समावेशी लोकतंत्र को बढ़ावा दिया जा सकता है तथा चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जा सकेगा। परंतु इसका एक नकारात्मक पहलू यह भी है कि डीपफेक या साइकोलॉजिकल माइक्रो टारगेटिंग से जनमत को प्रभावित किया जा सकता है।
- Surveillance State – फ्रांसीसी दार्शनिक Michel Foucault की पुस्तक ‘Discipline and Punish: The Birth of the Prison ‘ (1975) मैं उन्होंने सर्विलांस स्टेट या निगरानी राज्य की अवधारणा प्रस्तुत की इसके अनुसार ‘एक ऐसा राज्य जहां नागरिकों की लगातार निगरानी होती है ताकि वे अनुशासित बने रहे ‘।
वर्तमान समय में मोबाइल, स्मार्टवॉच, इंटरनेट आदि के माध्यम से लोगों का व्यक्तिगत डेटा सरकार के पास होता है तथा क्वांटम टेक्नोलॉजी से इस डाटा को आसानी से और तेजी से प्रोसेस किया जा सकेगा जिससे प्रत्येक व्यक्ति की निगरानी बढ़ेगी तथा उसके विभिन्न कार्यों पर नियंत्रण किया जा सकेगा। - Effect on Political Theories – राजनीतिक सिद्धांत की मूल अवधारणाओं में स्वतंत्रता, न्याय, संप्रभुता, अधिकार आदि है। क्वांटम टेक्नोलॉजी के माध्यम से सरकारों के पास उपलब्ध डाटा को आसानी से विश्लेषण कर उसका अनुचित उपयोग व्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित करेगा। साथ ही यह भी प्रश्न उठता है कि क्या टेक्नोलॉजी आधारित न्याय समान रूप से सभी लोगों तक पहुंच सकेगा।
इस प्रकार क्वांटम टेक्नोलॉजी का प्रभाव विज्ञान के साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र पर भी पर्याप्त रूप से पड़ेगा तथा इसके अन्य पहलू भी हो सकते हैं जिनमें क्वांटम टेक्नोलॉजी के कारण व्यापक परिवर्तन आ जाए इसके लिए अधिक शोध की आवश्यकता है जिससे की विभिन्न चुनौतियों का सामना किया जा सके।
