Fundamental Duties and Parliamentary Privileges: भारत की गौरवशाली परंपरा और मूल कर्तव्यों पर भारी संसदीय विशेषाधिकार।

भारत की गौरवशाली परंपरा और मूल कर्तव्यों पर भारी संसदीय विशेषाधिकार।

नई दिल्ली(दर्शन सिंह चौहान) ।भारतीय संविधान के भाग 4 क में मूल कर्तव्यों में वर्णित है कि हम हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका परीक्षण करें परंतु संविधान का गुणगान करने वाले नेता इन संवैधानिक मूल्यों से अनभिज्ञ होकर ओर तथ्यों पर विमर्श के बिना विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन में भारत की महान संस्कृति के संवाहक व मातृभूमि के लिए धनबल,बाहुबल,और कूटनीति का प्रयोग करने वाले तथा मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर करने वाले परंपरा के महान स्तंभ महाराणा सांगा के लिए अनर्गल भाषा का प्रयोग किया जाता है। 

हालांकि इस प्रकार की अनुमति सांसदों को भारत का संविधान ही देता है भारतीय संविधान में अनुच्छेद 105 में संसदीय विशेषाधिकार का प्रावधान किया गया है जिसके तहत सांसदों द्वारा सदन में दिए गए बयानों के संबंध में उन्हें कानूनी कार्रवाई से छूट प्राप्त है। इन नियमों का लाभ उठाकर राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन ने महाराणा सांगा पर असभ्य टिप्पणी की है और इस मामले में वह अपने इतिहास के सीमित ज्ञान के आधार पर अड़े भी रहते हैं।.. इस तरह की भाषा का प्रयोग भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार नहीं है, कई बार राजनीतिक दलों के सांसदों द्वारा अपने स्वार्थ हितों की पूर्ति के लिए देश की वर्षों पुरानी परंपरा का मजाक उड़ाया जाता है तथा देश में आपसी सद्भाव बिगड़ने का प्रयास किया जाता है।

हाल ही का मामला देखे तो रामजीलाल सुमन की टिप्पणी से आहत हुए व्यक्तियों को संविधान ने कोई ऐसी शक्ति प्रदान नहीं की है कि वह उस पर ठोस कार्यवाही करवा सके अर्थात लोगों को प्रतिक्रिया करने के लिए वैधानिक नियम तो संविधान में नहीं दिए गए हैं। ऐसे कृत्यों को रोकने के लिए संविधान में मूल कर्तव्यों का प्रावधान है जो कि स्वैच्छिक स्वरूप में दिखाई पड़ते है, और सांसदों की इस प्रकार टिप्पणी से यह तो तय हो जाता है कि संसदीय विशेषाधिकार मूल कर्तव्य तथा भारत की गौरवशाली परंपरा पर भारी है। साथ ही मेरा व्यक्तिगत मानना है कि अगर जिस देश में सांसद स्वयं ही मूल कर्तव्य से परिचित नहीं है तो वहां जनता से अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए की जनता संविधान के नियमों का पालन करें।

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