भगवान महावीर प्रभु के जयकारों से गुंजा गांव,बड़ी धूम- धाम से मनाया चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर प्रभु का जन्मवाचन।

भगवान महावीर प्रभु के जयकारों से गुंजा गांव।

बड़ी धूम- धाम से मनाया चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर प्रभु का जन्मवाचन।

घट्टिया/उज्जैन।

दिपांशु जैन -ग्राम घोंसला, बिछड़ौद सहित अंचल क्षेत्रों में श्वेतांबर जैन समाज के पर्युषण महापर्व को लेकर पांचवे दिन भी समाजजनों में काफी उल्लास नजर आया। घोंसला के प्राचीन श्री मुनिसुव्रत प्रभु एवं बिछड़ौद के श्री सुविधिनाथ प्रभु एवं श्री विमलनाथ प्रभु जिनमंदिर सहित क्षेत्र के अन्य प्रमुख मंदिरों में सुबह 6 बजे से ही समाजजनों का तांता लगा रहा।

पांचवे दिन भी पर्व की खुशियां मनाते हुए सुबह 6 बजे से समाज के श्रावक- श्राविकाओं ने नित्य- नियमित पूजा- अर्चना के साथ- साथ भगवान की अनेक प्रकार की वेशभूषाओं में आकर्षक अंगरचना की। तत्पश्चात 9 बजे करीब स्नात्र पूजन का आयोजन हुआ। साथ ही समाजजनों ने दोपहर करीब 2 बजे चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी प्रभु का जन्मवाचन बड़ी धूम- धाम के साथ मनाया, जिसमें माता त्रिशलादेवी को आए चौदह स्वप्नाजी के साथ पालनाजी एवं महाआरती की बोलियां लगाई। घोंसला में पालनाजी के लाभार्थी दिलीप कुमार डुंगरवाल परिवार कानवन एवं पहली आरती के लाभार्थी मदनलाल सांखला परिवार घोंसला रहे। वहीं बिछड़ौद में पालनाजी के लाभार्थी मूलचंद्र चौरड़िया एवं अजय डागलिया आदि का परिवार रहा, वहीं पहली आरती के लाभार्थी महेशचंद्र कटारिया एवं मुकेश कुमार कटारिया आदि का परिवार रहा। तत्पश्चात वरघोड़ा भी निकाला गया। जोकि नगर के प्रमुख मार्गों से होकर वापस मंदिर परिसर पहुंचा। वरघोड़े में युवाओं ने भगवान महावीर प्रभु के जयकारे भी लगाए। इधर श्रावक- श्राविकाओं ने बियासना, एकासना, आयंबिल, उपवास आदि की तपस्या करते हुए अपने मानव जीवन में हुए पापों का भी प्रायश्चित किया। शाम 7:30 बजे समाज की श्राविकाओं ने स्थानीय उपाश्रय में प्रतिक्रमण करते हुए जाने- अनजाने हुई जीव हिंसा को लेकर क्षमा मांगी। रात्री 8 बजे से मंदिरों में भगवान की आरती करते हुए देर रात तक भजन- कीर्तन किए। समापन पर स्वामीवात्सल्य के साथ प्रभावना भी बांटी गई। इस दौरान उज्जैन, इंदौर, धार, आगर सहित अन्य जगहों के सैंकड़ों समााजजन आदि मौजूद रहे।

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