तराना के कार सेवक ने 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाने में था अहम योगदान, अब रामलला की मुर्ति स्थापना मे पहुँचेंगे।

उज्जैन। तराना के कार सेवक की सरकार से गुहार, 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाने में हमारा महत्व पूर्ण योगदान मूर्ति स्थापना में हमे भी मिले मोका।

6 दिसम्बर 1992 को पूरे भारत से कार सेवक अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद का ढाचा ढहाने पहुंचे थे उस वक्त तराना से हिन्दु सिंह गुर्जर, ईश्वर सिंह गुर्जर समेत 200 से अधिक लोगो ने कार सेवा में हिस्सा लिया था और बाबरी मजिस्जद का ढाचा गिराकर रामलला को सुरक्षित वहां से हटाकर समीप में स्थित नीम के पेड के नीचे स्थापित किया था । अब जब रामलला का भव्य मंदिर बन गया है और जनवरी में इसका उदघाटन भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी एवं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के द्वारा किया जायेगा इस अवसर पर एक बार फिर तराना से सभी कार सेवक उदघाटन समारोह में हिस्सा लेने पहुंचेगे।पत्रकारों को जानकारी देते हुए हिन्दू सिंह गुर्जर ने बताया कि दिसम्बर 1992 को अयोध्या कारसेवक पहुचे थे और लगातार 10 दिन वहां प्रवचन में हिस्सा लेकर सरयु नदी के किनारे बालूरेत लेकर रामलला के मंन्दिर पहुंचे थे और बाबरी मस्जिद की तीन दिवारों को फादते हुए मुख्य द्वार तक पहुंचे थे। जहां रामलला विराजित थे वहां पहुंचने पर गार्ड ने रामलला के बाबरी मस्जिद के मलबे में दब जाने की आशंका जताते हुए उनको वहां से बाहर निकालने के लिये कहा तब हमने रामलला को वहां से सुरक्षित उठाकर समीप में स्थित नीम के पेड़ के नीचे स्थापित किया।

इस दौरान रामलला के पास रखा हुआ कलश जिसमें से हमने पानी पिया। कार सेवक बाबरी मस्जिद के ढ़चे पर पहुचे और उसे ढहाया और इस दौरान मुझे और मेरे साथी को चोट आयी और हमे फेजाबाद के अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां हमारा ईलाज किया गया और इसके बाद वहां के स्थानीय प्रशासन ने हमे पुनः ढाचे के पास छोड़ दिया ।रामलला का भव्य मंदिर अब बन गया है और जनवरी में इसका उद्घाटन किया जाना है ऐसे में हम सभी कार सेवक एक बार पुनः रामलला के दर्शन के लिये अधिक से अधिक संख्या में वहां पहुंचेगे।

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